शिकायत बोल

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ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
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मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

कार

नयी कार, पुरानी कार

दि‍ल्‍ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हि‍रयाणा समुद्र तट से काफी दूर हैं अत: इस पूरे क्षेत्र में वाहनों में लगी मैटि‍ल में क्षरण आते रहने की कम ही संभावना रहती है। ऐसे में टैक्‍नीकल जांच में सही पाये जने वाले वाहन सड़क से बाहर करने की वजह समझ से परे है।
आने वाले समय में कार शोरूमों पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने वाली है। सबको अपनी १५ साल से ज्‍यादा पुरानी कारें सडक से बाहर करनी होंगी। रायल्‍टी पर आयाति‍त टैक्‍नेलाजी और वि‍देशी नि‍वेश पर आधारि‍त वाहन उत्‍पादक कारखानों और शो रूम सेल को बढावा मि‍लेगा। एनसीआर के तत्‍काल बाद ही टीटीजैड में इसे अपनाया जायेगा।
कि‍न्‍तु सोचें कि‍ भारत में अधि‍कांश वाहन बैंक के कर्ज से मासि‍क कि‍श्‍त और ब्‍याज पर खरीदे जाते हैं। चार पहि‍ये के वाहन चालक सात से दस साल की ईएमआई पर वाहन लेते हैं। ऐसे में क्‍या ५ साल तक ही वाहन रखपाने के फार्मूले के बाद कार खरीदना व्‍यवहारि‍क रह जायेगा। देश में वाहनों के इंजन के परि‍प्रेक्ष्‍य में भारत चार मानक लागू हैं। दि‍ल्‍ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हि‍रयाणा समुद्र तट से काफी दूर हैं अत: इस पूरे क्षेत्र में वाहनों में लगी मैटि‍ल में क्षरण आते रहने की कम ही संभावना रहती है। ऐसे में टैक्‍नीकल जांच में सही पाये जने वाले वाहन सडक से बाहर करने की वजह समझ से परे है।
उचि‍त तो यही होगा वाहन उत्‍पादकों से कहा जाए कि‍ वे उन मानकों का उपयोग करें जि‍नसे वाहन १५ साल बाद भी सड़क पर बने रहने की स्‍थि‍ति‍ में रहें। 
सेल लैटर और ब्राण्डों की मार्केटिंग पब्‍लि‍सि‍टी में इस छिपे तथ्‍य को सामने लाया जाए कि‍ खरीदा गया वाहन १५ साल बाद अमुक तारीख से सड़क पर चलने योग्‍य नहीं रह जायेगा। 
भारत अब तक हैरीटेज प्रोपर्टि‍यों और वि‍टेज कार रखने वालों का देश रहा है और आज भी है। नये फार्मूलों से यह 'मेक इन इंडि‍या ' मि‍शन का देश हो जायेगा। यह प्रयास अदूरदर्शि‍ता पूर्ण ही होगा जो छोटी आमदनी वाले वर्ग की पहुंच वाले पुरानी कारों के र्मार्कि‍ट को चोट पहुंचाने का काम करेगा। कि‍न्‍तु शायद मेक इन इंडि‍या मि‍शन की बुनि‍याद तो ’अपनों की ही जेब खाली करवाओं’ पर टि‍की है।
राजीव सक्सेना
http://www.agrasamachar.com/ 

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