शिकायत बोल

शिकायत बोल
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
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मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

अमूल का धोखा

अमूल की पैकिंग
आज यानी २२/१०/१३ (22/10/13) को जब अमूल गोल्ड यानी शुद्ध फ़ुल क्रीम दूध घर में आया तो ५०० मिली के तीनों पैकिटों पर पैकिंग की तारीख २४/१०/१३ (24/10/13) छपी देखकर आश्चर्य हुआ। सच, यह भारत है यहां सब हो सकता है। कोई देखने वाला नहीं है।
चारों ओर मनमानी है। अमूल का जब मन करता है तब १-२ रुपये प्रति लि. दूध की दर बढ़ा दी जाती है। किसानों से १८-२० रुपये लि. का खरीदा गया दूध हमारे पास आते-आते ४२ रु. लि. हो जाता है- प्रोसेस व पैकिंग के कारण। जैसा कि शुद्ध दूध का दावा किया जाता है, कौन जाने हम क्या पी रहे हैं। कई बार सुनने में आया है कि खरीदे गये दूध से बेचे गये दूध की मात्रा अधिक होती है। वह अतिरिक्त दूध कहां से आया? आयातित पाउडर का बना या....। जिस देश में रोजाना हज़ारों-लाखों पशु कट रहे हों वहां दूध की मात्रा पर आज नहीं तो जल्दी ही सवाल उठेंगे। ये दूध कम्पनियां मुनाफ़े के लिए तमाम अन्य उत्पाद भी बनाती हैं।

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