शिकायत बोल

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मंगलवार, 24 सितंबर 2013

सेंधा नमक

स्वास्थ्यप्रद और निरापद है सेंधा नमक 
साधारण या आयोडीन युक्त नमक काफ़ी तेज होता है जिसके सेवन से शरीर में ब्लड प्रेशर, चर्म रोग, फेफड़ा, नेत्र रोग, मोटापा, शरीर में जकड़न सहित बीस घातक बीमारियां होती हैं। पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधे नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गयी है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बांगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। 
प्रसिद्ध वैज्ञानिक और समाज सेवी राजीव भाई दीक्षित का कहना है की समुद्री नमक तो अपने आप में बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है। आयोडिन की शरीर में मे अधिक मात्रा जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है। प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते हैं। यह शायद आश्चर्यजनक लगे, पर यह वास्तविकता है ।नमक विशेषज्ञ एनके भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते हैं जो कि शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है। सेंधा नमक सर्वोत्तम है, जो पहाड़ी नमक है । अहमदाबाद के प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी अनुसार आयुर्वेद की बहुत सी दवाइयों मे सेंधा नमक उपयोग होता है। आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज़, लकवा आदि गंभीर बीमारियों का भय रहता है। इसके विपरीत सेंधा नमक उपयोग करने से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है। इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है।
मुग़ल काल में खोदा गया पाकिस्तानी पंजाब में खेवड़ा नमक खान
में यह नमक केपत्थर से घिरा कमरा। (सौजन्य: विकी पीडिया) 
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होते हुए पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था। विदेशी कंपनीयां भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई हैं,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली-भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है। सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

साधारण या आयोडीन युक्त नमक काफ़ी तेज होता है जिसके सेवन से शरीर में ब्लड प्रेशर, चर्म रोग, फेफड़ा, नेत्र रोग, मोटापा, शरीर में जकड़न सहित बीस घातक बीमारियां होती हैं। पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधे नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गयी है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बांगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक खूब मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। यह स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। समुद्री नमक के बजाय सेंधे नमक का प्रयोग होना चाहिए। समुद्री नमक के कारण उच्च रक्तचाप की संभावना बनती है। दिल की बीमारी भी संभव है। हार्टअटैक का खतरा कम करने के लिए चिकित्सक हमेशा भोजन में नमक कम मात्रा में लेने की सलाह देते हैं।
सेंधे नमक का क्रिस्टल (विकी पीडिया) 
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है। सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन में मददगार, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। सबसे बडी समस्या है कि भारत मे सेंधा नमक काफ़ी कम मात्रा में पैदा होता है और वह भी शुद्ध नहीं होता। भारत में खाया जाने वाला ८० प्रतिशत नमक समुद्री नमक है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाड़ी यानि कि सेंधा नमक। सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान के मुल्तान की पहडि़यों में पाया जाता है।
मौसमी खाँसी के लिए सेंधे नमक की बड़ी सी डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है। किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श भी ले लें। 
रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है। यह दस्त, कृमिजन्य रोगों और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है। सेंधे नमक के विशिष्ठ योग- हिंग्वाष्टक चूर्ण, लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ योग हैं ।

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